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Who is Sunita Williams: भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष सफर

Who is Sunita Williams: सुनीता विलियम्स, जिन्हें सुनीता लिन विलियम्स के नाम से भी जाना जाता है, एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के अपने दो मिशनों के दौरान अपनी उपलब्धियों का लोहा मनवाया। सुनीता विलियम्स ने 1983 में अमेरिकी नौसेना अकादमी में दाखिला लेने के बाद सितारों की ओर अपनी यात्रा शुरू की। उनके समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण वह 1987 में एक ध्वजवाहक बन गईं। इसके बाद नेवल एविएशन ट्रेनिंग कमांड में एविएटर प्रशिक्षण दिया गया।

सुनीता लिन पंड्या, जिन्हें बाद में सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) के नाम से जाना है, इनका का जन्म 19 सितंबर, 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। उनके पिता का परिवार भारत से आया था, और उनकी माँ का परिवार स्लोवेनिया से था। वह नीधम, मैसाचुसेट्स में पली-बढ़ीं और 1983 में, वह एनापोलिस, मैरीलैंड में अमेरिकी नौसेना अकादमी में शामिल हो गईं |

1987 में उन्होंने अमेरिकी नौसेना अकादमी से बैचलर ऑफ फिजिकल साइंस की डिग्री प्राप्त की थी । इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर्स किया। नासा में शामिल होने से पहले, उन्होंने अमेरिकी नौसेना में सेवा की थी। उस समय उन्होंने 30 से अधिक विभिन्न विमानों में 3000 से अधिक उड़ानें भरी थीं। सुनीता विलियम्स फिलहाल अपने तीसरे अंतरिक्ष मिशन की तैयारी कर रही हैं।

1987 में, विलियम्स ने एविएटर बनने के लिए अपना प्रशिक्षण शुरू किया और दो साल बाद, उन्होंने लड़ाकू हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण शुरू किया। उन्होंने फारस की खाड़ी युद्ध (1990-91) की तैयारियों के दौरान हेलीकॉप्टर उड़ाए और 1992 में मियामी, फ्लोरिडा में तूफान एंड्रयू के टकराने के बाद राहत अभियानों में भाग लिया। 1993 में, वह एक नौसेना परीक्षण पायलट बन गईं और बाद में एक प्रशिक्षक बन गईं, और दूसरों को पढ़ाती रहीं 30 से अधिक विभिन्न विमान कैसे उड़ाएं।

1995 में विलियम्स ने मेलबर्न में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने 1998 में अपना अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण शुरू किया और यहां तक कि मॉस्को, रूस की यात्रा भी की, जहां उन्होंने रोबोटिक्स और अन्य तकनीकों के बारे में सीखा। मॉस्को में अपने समय के दौरान, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के मिशन के लिए तैयार होने वाले कर्मचारियों के साथ काम किया।

भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स को भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था । इसके साथ ही स्लोवेनिया सरकार ने उन्हें गोल्डन ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया। नासा ने उन्हें नासा स्पेसफ्लाइट मेडल से सम्मानित किया, जो अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण उपलब्धि या सेवा के लिए दिया जाता है। इसके साथ ही सुनीता को कई देश सम्मानित कर चुके हैं।

सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष में जा रही हैं। इस बार बुच विल्मोर भी उनके साथ जाएंगे, नासा के दो अनुभवी अंतरिक्ष यात्री बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरिक्ष में जा रहे हैं। यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस वी रॉकेट और बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान कल यानी 7 मई 2024 को सुबह 8:04 बजे कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जायेगा ।

डॉ. दीपक पंड्या और बोनी पंड्या के घर जन्मी सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है । वह पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन पर उड़ान भरने वाली पहली महिला होंगी। वह 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष में जा चुकी हैं। विलियम्स ने दो मिशनों में अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

गुजरात के मेहसाणा जिले के झूलासन में जन्मी सुनीता विलियम्स के पिता एक न्यूरोएनाटोमिस्ट थे, बाद में अमेरिका चले गए और बोनी पंड्या से शादी कर ली।

सुनीता को जून 1998 में उन्हें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए चुना गया। वह 9 दिसंबर 2006 को पहली बार अंतरिक्ष में गईं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए 14वें शटल डिस्कवरी के साथ लॉन्च किया गया था। उनका दूसरा मिशन 18 नवंबर 2012 को समाप्त हुआ। इसके बाद उन्होंने कजाकिस्तान के बैकोनूर से रूसी रॉकेट सोयुज टीएमए-05एम से उड़ान भरी।

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