SCO में भारत की सदस्यता क्यों मायने रखती है ?
What is SCO: शंघाई सहयोग संगठन एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है। यह पहले 1996 में ‘शंघाई फाइव‘ के रूप में अस्तित्व में आया था। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक प्रमुख अंतर-सरकारी संगठन है |
इसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई चीन में हुई थी। शुरुआत में छह देशों – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा स्थापित एससीओ ने 2024 तक 10 पूर्ण सदस्य देशों को शामिल करने के लिए विस्तार किया है और 2 आब्जर्वर है |
SCO में इन मुद्दों पर सहयोग स्थापित करना है:
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
सीमा मुद्दों का समाधान
सैन्य सहयोग
खुफिया जानकारी साझा करना
आतंकवाद का मुकाबला करना
अमेरिकी प्रभाव का मध्य एशिया में मुकाबला करना
शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य
संस्थापक सदस्यों के अलावा, उज्बेकिस्तान बाद में स्थायी सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ। भारत और पाकिस्तान संगठन में सबसे नए शामिल हुए हैं और इसने SCO में 1.45 बिलियन लोगों को जोड़ा है, जिससे समूह में दुनिया की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा शामिल हो गया है। इन दोनों देशों ने 2016 में शंघाई सहयोग संगठन के स्थायी सदस्य बनने के लिए ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
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SCO के आठ स्थायी सदस्य हैं:
चीन
कजाकिस्तान
किर्गिस्तान
रूस
ताजिकिस्तान
उज्बेकिस्तान
भारत
पाकिस्तान
राज्य प्रमुखों की वर्तमान परिषद में शामिल हैं:
राम नाथ कोविंद (भारत)
व्लादिमीर पुतिन (रूस)
शी जिनपिंग (चीन)
शावकत मिर्जियोयेव (उज्बेकिस्तान)
आरिफ अल्वी (पाकिस्तान)
सूरनबाई जीनबेकोव (किर्गिस्तान)
इमोमाली रहमोन (ताजिकिस्तान)
कासिम-जोमार्ट टोकायेव (कजाकिस्तान)
SCO शिखर सम्मेलन
SCO के सदस्य साल में एक बार मिलते हैं और संगठन के सभी महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय और दिशा-निर्देश अपनाते हैं।
एससीओ में भारत की सदस्यता क्यों मायने रखती है?
शंघाई सहयोग संगठन को नाटो के पूर्वी प्रति-संतुलन के रूप में देखा जाता है। भारत के इसका सदस्य बनने से देश को आतंकवाद से निपटने और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रभावी कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों भारत और चीन की मौजूदगी के साथ, एससीओ अब सबसे बड़ी आबादी वाला संगठन है।