National Cinema Day: क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय सिनेमा दिवस ?
National Cinema Day: राष्ट्रीय सिनेमा दिवस पूरी दुनिया में सिनेमा और इसे संभव बनाने वाले सभी लोगों का उत्सव है। यह सिनेमा प्रेमियों के लिए एक साथ आने और बड़े पर्दे पर अपनी पसंदीदा फिल्मों का आनंद लेने का दिन है।
इस दिन देश भर के मूवी थिएटर रियायती टिकट प्रदान करते हैं। यह आपकी पसंदीदा फिल्म देखने का एक शानदार अवसर है। राष्ट्रीय सिनेमा दिवस फिल्म प्रेमियों को एक साथ आने और समाज पर सिनेमा के गहरे प्रभाव को स्वीकार करने का एक अनोखा अवसर प्रदान करता है।
यहां तक की इस दिन मूवी टिकट सिर्फ 99 रुपये में बेचे जाते हैं। यह कार्यक्रम आम तौर पर क्लासिक और समकालीन दोनों फिल्मों के चयन को प्रदर्शित करता है, जो सिनेमाई समुदाय के भीतर मौजूद उल्लेखनीय रचनात्मकता और प्रतिभा को उजागर करता है।
राष्ट्रीय सिनेमा दिवस मनाने के पीछे का कारण (Reason behind celebrating National Cinema Day)
कोविड-19 महामारी के कारण आए चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय सिनेमा दिवस को सिनेमा हॉलों के फिर से खुलने का जश्न मनाने के लिए एक मंच में बदल दिया।
इस बदलाव ने एकजुटता प्रदर्शित करने और सिनेमा हॉल मालिकों को बहुत जरूरी सहायता प्रदान करने के साधन के रूप में काम किया था, जिन्हें महामारी के दौरान आर्थिक तौर पर नुकसान झेलना पड़ा था।
इस पहल के हिस्से के रूप में सिनेमा उद्योग के दुबारा से उठाने के लिए और फिल्म प्रशंसकों को लुभाने के लिए मूवी टिकटों पर भारी छूट की पेशकश की जाती है। पिछले साल कई मिलियन लोग फिल्म देखने सिनेमा हॉलों इस दिन का जश्न मनाने के लिए सिनेमाघरों में आए।
MAI क्या है ? (What is MAI?)
एमएआई की स्थापना 2002 में प्रमुख सिनेमा ऑपरेटरों द्वारा फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की छत्रछाया में की गई थी। एमएआई 11 से अधिक सिनेमा श्रृंखलाओं का अगवाई करता है, जो देश भर में 500 से अधिक मल्टीप्लेक्स संचालित करता है | इसमें लगभग 2500+ स्क्रीन शामिल हैं। सरल शब्दों में, MAI भारत में लगभग 75% मल्टीप्लेक्स उद्योग का अगवाई करता है।
राष्ट्रीय सिनेमा दिवस का महत्व (Importance of National Cinema Day)
राष्ट्रीय सिनेमा दिवस भारतीय सिनेमा की उपलब्धियों और इसके गहरे महत्व का जश्न मनाने के लिए एक सराहनीय अवसर के रूप में काम करता है। यह सिनेमाई वीरतान्त को पहचानने के लिए समर्पित दिन है जो देश के इतिहास, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों के सार को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इसके अलावा, इस साल ऐसी धमाकेदार फ़िल्में रिलीज़ होने की उम्मीद है जो दर्शकों को एक मनोरम भावनात्मक यात्रा पर ले जाने का वादा करती हैं।
भारतीय सिनेमा के जनक
दादा साहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) को भारतीय सिनेमा के जनक माना जाता है | दादा साहेब फाल्के ने 1913 में पहली भारतीय फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई थी। उनकी याद में भारत सरकार ने 1969 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की।
दादा साहिब फाल्के (Dadasaheb Phalke) का पूरा नाम धुंधिराज गोविंद फाल्के था। उनका जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र के नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर में हुआ । उनके पिता दाजी शास्त्री फाल्के संस्कृत के विद्वान थे। कुछ समय बाद दादा साहिब फाल्के का परिवार मुंबई आ गया।
दादा साहब फाल्के ने 3 दशकों के अपने फिल्मी करियर में लगभग 100 फिल्मों का बनाई। दादा साहब फाल्के की 1937 में रिलीज हुई फिल्म गंगावतरम आखिरी फिल्म थी।
1970 में दादा साहिब फाल्के की जन्म शताब्दी के अवसर पर भारत सरकार ने फिल्म के क्षेत्र में उनके योगदान को पहचानने के लिए उनके नाम पर दादा साहिब फाल्के पुरस्कार की स्थापना की। फिल्म अभिनेत्री देविका रानी फिल्म जगत में यह सम्मान हासिल करने वाली पहली अभिनेत्री थीं। इस साल 2024 में बॉलीवुड की सबसे मशहूर हस्तियों में से एक मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के (Dadasaheb Phalke Award) पुरस्कार मिला है |