भारतीय सेना दिवस का इतिहास (History of Indian Army Day): भारत आज 77वां भारतीय सेना दिवस मना रहा है। भारतीय सेना दिवस एक वार्षिक उत्सव है जो स्वतंत्र भारतीय सेना की स्थापना का प्रतीक है। यह दिन 1949 में स्वतंत्रता के बाद ब्रिटेन से भारत को सैन्य नेतृत्व के हस्तांतरण का प्रतीक है।
यह दिवस हर वर्ष 15 जनवरी को देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले सैन्यकर्मियों की बहादुरी और बलिदान के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य भारत की सैन्य क्षमताओं और उपलब्धियों पर गर्व की साझा भावना के माध्यम से अपने नागरिकों में देशभक्ति की भावनाओं को प्रेरित करना भी है।
आज के दिन भारतीय सेना के उन जवानों को भी श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, उन्हें याद किया जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है। इस वर्ष भारतीय सेना दिवस परेड पुणे में आयोजित की गई, जो भारतीय सशस्त्र बलों के कई परिचालन, रणनीतिक और प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों का घर है।
इस अवसर पर नई दिल्ली तथा अन्य सेना मुख्यालयों में सैन्य परेड, प्रदर्शनियां और विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। यह दिन भारतीय सेना की बहादुरी, साहस और बलिदान को याद करने का समय है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सेना दिवस 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है ? इसके पीछे भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास और फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा का महत्वपूर्ण योगदान छिपा है।
भारतीय सेना दिवस का इतिहास ? (History of Indian Army Day)
भारत की स्वतंत्रता से पहले भारतीय सेना का नेतृत्व ब्रिटिश कमांडरों के हाथों में था। 1947 में स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय सेना का प्रमुख हमेशा ब्रिटिश मूल का ही रहा। इसके बाद भारतीय सेना का इतिहास तब बदल गया जब 15 जनवरी 1949 को लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने।

केएम करिअप्पा ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। उनकी कुशल रणनीति और नेतृत्व ने उन्हें भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया।
करिअप्पा 1953 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए और बाद में उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल की मानद रैंक दी गई। उनकी उपलब्धियों में 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का नेतृत्व करना और दूसरे विश्व युद्ध में जापानियों को हराने के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित होना शामिल है।
15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा ने भारतीय सेना के प्रथम भारतीय प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया। यह भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि इस दिन भारतीय सेना में स्वदेशी नेतृत्व की शुरुआत हुई थी। इसलिए हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय सेना दिवस की थीम
इस वर्ष के सेना दिवस की थीम ‘समर्थ भारत, सक्षम सेना’ है जो एक मजबूत भारत के लिए सेना की क्षमताओं पर जोर देती है।
भारतीय सेना दिवस कैसे मनाते है ?
► परेड और मार्चिंग टुकड़ियाँ: दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में एक भव्य परेड में मार्चिंग टुकड़ियाँ, टैंक और अन्य सैन्य उपकरण शामिल होते हैं।
► पुरस्कार समारोह: प्रतिष्ठित सैनिकों को उनकी अनुकरणीय सेवा के लिए वीरता पुरस्कार और सम्मान दिए जाते हैं |
► सैन्य प्रदर्शन: युद्ध कौशल, बचाव अभियान और उन्नत हथियारों का लाइव प्रदर्शन सेना की परिचालन तत्परता को दर्शाता है।
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