Swami Sivananda: पद्म श्री से सन्मानित 126 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद के बारे में कुछ ख़ास बातें
Swami Sivananda (Yoga instructor) भारत्त के राष्ट्रपति द्वारा देश की ख़ास हस्तियों को अलग-अलग क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए पद्म श्री अवार्ड्स से सम्मानित किया जाता है | इस बार भी राजधानी नई दिल्ली में मौजूद राष्ट्रपति भवन में देश की 128 हस्तियों को पद्म श्री अवार्ड्स सम्मानित किया गया | इसी दौरान एक शख्स जिसने पद्म श्री समरोह को यादगार बना दिया, वो हैं काशी के रहने वाले 126 वर्षीय योग गुरु स्वामी शिवानंद |
राष्ट्रपति द्वारा स्वामी शिवानंद को योग के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया | वह इस समारोह में दूसरों से उम्र और तजुर्बे के मामले में सबसे बड़े थे |
प्रधानमंत्री मोदी भी सन्मान में स्वामी जी के आगे झुक गए समरोह के दौरान जब सफेद कुर्ता और धोती पहने योग गुरुस्वामी शिवानंद (Swami Sivananda ) को जब पद्म श्री से सम्मानित करने के लिए बुलाया गया तो वहां मौजूद सभी लोग तालियां बजाने लगे | वहीं स्वामी जी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे झुक कर प्रणाम किया, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी भी खड़े हुए स्वामी जी के आगे झुक गए |
स्वामी शिवानंद का जन्म
स्वामी शिवानंद (Swami Sivananda) का जन्म साल 8 अगस्त 1896 में हुआ था | स्वामी शिवानंद ने छह साल की उम्र में अपने माता और पिता को खो दिया था |उनका जीवन काफी मुश्किलों से गुजरा | उन्हें पश्चिम बंगाल के गुरु ओंकारानंद गोस्वामी द्वारा योग सहित आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की गई थी।
स्वामी शिवानंद बिल्कुल स्वस्थ हैं और वह हर रोज़ सुबह 3 बजे उठते हैं योग करते हैं, साथ ही भगवद् गीता और मां चंडी का पाठ करते हैं | कहा जाता है कि स्वामी शिवानंद को लाइम लाइट से दूर रहना पसंद हैं |
स्वामी शिवानंद के अनुशासित जीवन, जिसमें सुबह का योग, तेल मुक्त उबला हुआ आहार और मानव जाति की निस्वार्थ सेवा शामिल है, स्वामी शिवानंद रोग मुक्त जीवन जीते हैं | कोई मसालेदार चीज नहीं खाते | image: web
50 वर्षों से पुरी में भिखारियों की कर रहे हैं सेवा
कहा जाता है कि स्वामी शिवानंद पिछले 50 वर्षों से पुरी में 400-600 भिखारियों की सेवा कर रहे हैं। वह उन्हें जीवित भगवान के रूप में मानते हैं और सर्वोत्तम उपलब्ध वस्तुओं के साथ उनकी सेवा करते हैं। वह विभिन्न सामग्रियों जैसे खाद्य पदार्थों, फलों, कपड़ों, सर्दियों के वस्त्र, कंबल, मच्छरदानी, खाना पकाने के बर्तनों की उनकी व्यक्त आवश्यकता के आधार पर व्यवस्था करते हैं।”image:web