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बॉलीवुड के जादूगर सुनील दत्त जो कभी बस कंडक्टर की करते थे नौकरी

सुनील दत्त (Sunil Dutt) बॉलीवुड के ऐसे अभिनेता थे जिन्हे ने अपनी मेनहत और लगन से एक इंडियन सिनेमा में अपना नाम कमाया | सुनील दत्त ने 1950 और 1960 के दशक में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन और अनूठी शैली से दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया । अपनी फिल्मों के जरिए संदेश देने के लिए जाने जाने वाले दत्त ने ‘मदर इंडिया’, ‘साधना’, ‘इंसान जाग उठा’, ‘सुजाता’, ‘मुझे जीने दो’ और ‘पड़ोसन’ जैसी क्लासिक फिल्मों में अभिनय किया और अपने सफल करियर में ग्लैमर ने एक शानदार अभिनय किया ।

सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को विभाजन से पहले पंजाब राज्य के झेलम जिले के खुर्दी गांव में हुआ था। उनका परिवार काफी गरीब था, जिसके कारण उनके संघर्ष की कहानी उनके बचपन से ही शुरू हो गई, जब पांच साल की उम्र में सुनील दत्त के पिता का साया उनके सिर से उठ गया।

अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए मुंबई के जय हिंद कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन सुनील दत्त के पास मुंबई में रहने के लिए पैसे नहीं थे। जिसके बाद उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी | इसी बीच उन्हें बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई |

ऐसे में अपने खर्चों को पूरा करने के लिए सुनील दत्त ने बस कंडक्टर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। हालाँकि, यह नौकरी थोड़े समय के लिए ही थी। इसके बाद वह रेडियो जॉकी बन गए और रेडियो सीलोन में घोषणाकार के रूप में काम करने लगे। लेकिन इसी बीच उनके मन में एक्टर बनने का सपना उभर रहा था |

लेकिन सुनील दत्त (Sunil Dutt) की किस्मत तब चमकी जब 1955 में सुनील दत्त को उनकी पहली फिल्म ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ में काम करने का मौका मिला। सुनील दत्त ने 1958 में मदर इंडिया की सह-कलाकार नरगिस के छोटे बेटे की भूमिका निभाई और सेट पर एक दुर्घटना के बाद दत्त ने नरगिस को आग से बचाया और असल जिंदगी में भी नरगिस के हीरो बन गए। बाद में दोनों शादी के बंधन में बंध गए |

सुनील दत्त एक अभिनेता, फिल्म निर्माता, निर्देशक और राजनीतिज्ञ थे। दत्त को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए 1968 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने रास्ता (1956) और मदर इंडिया (1957) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों से अपनी पहचान बनाई और 48 साल के करियर में कई बेहतरीन फिल्में कीं।

नरगिस और दत्त के तीन बच्चे थे संजय दत्त, नम्रता दत्त और प्रिया दत्त 1984 में, सुनील दत्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार भारत की संसद के लिए चुने गए। वह मनमोहन सिंह सरकार (2004-2005) में युवा मामले और स्पोर्ट्स मंत्री थे। 25 मई 2005 को दिल का दौरा पड़ने से सुनील दत्त की मृत्यु हो गई थी |

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