History

Hindi Diwas 2023: हिंदी दिवस का 14 सितंबर से क्या है कनेक्शन?

Hindi Diwas 2023: सबसे ज्यादा आबादी बाले देश चीन में भी 70 प्रतिशत चीनी ही मंदारिन भाषा बोलते हैं, जबकि भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या 78 प्रतिशत है। अगर दुनिया में देखा जाऐ तो 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है | जबकि 20 करोड़ के करीब लोगों की दूसरी भाषा, और 44 करोड़ के करीब लोगों की तीसरी, चौथी या पांचवीं भाषा हिंदी है । भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है |

भारत में हिंदी

हिंदी भारत सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है – दूसरी भाषा अंग्रेजी है | यह भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाऐ जो की संविधान में शामिल है उन में से एक है, ऐसी मान्याता है जिस में कहा जाता है कि काका कालेलकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविंद दास मैथिली शरण गुप्त और के साथ-साथ बेहर राजेंद्र सिम्हा और अन्य लोगों के प्रयासों के कारण, हिंदी को दो आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी | दरअसल, यह व्यौहार राजेंद्र सिम्हा जिनका जन्म 14 सितंबर 1916 को हुआ था उनके 50वें जन्मदिन पर हुआ था, उन्होंने भारत के संविधान की मूल अंतिम पांडुलिपि का चित्रण त्यार किया था. हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.

14 सितंबर को क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस ?

हिंदी दिवस के इतिहास को अगर ध्यान से देखा जाऐ तो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों तक इस का इतिहास जाता है. 1918 में, हिंदी विद्वानों और कार्यकर्ताओं के एक समूह ने राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी को मान्याता देने और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ हिंदी साहित्य सम्मेलनो का गठन किया गया था |

इन सम्मेलनो ने ही हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल करके अपनाने में प्रमुख भूमिका निभाई | इस के अलावा भारत में और भी सैकड़ों भाषाएं बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी |

जबकि आजाद भारत का अपना संविधान लागू 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में हुआ. भारत का अपना संविधान लागू होने के बाद भी भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था | सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया.संविधान सभा ने अंग्रजी के साथ देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था | 14 सितंबर 1949 को ही संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया के हिंदी भारत की राजभाषा होगी. भारत में पहला हिंदी दिवस 1953 में मनाया गया था |

हिंदी दिवस का महत्व

हिंदी दिवस का उद्देश्य है हिंदी भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उस समय को याद करना है जब इसे भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था. इसे महात्मा गांधी ने जनमानस की भाषा भी कहा था. वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। 

2023 में विश्व हिंदी दिवस की थीम |

‘हिंदी को जनमत की भाषा बनाना, बगैर उनकी मातृमाभा की महत्व को भूले.’

हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है।जिसमें हिन्दी निबन्ध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि होता है हिन्दी भाषा को कुछ और दिन याद रखें इस कारण राष्ट्रभाषा सप्ताह का भी आयोजन होता है।

जिससे यह कम से कम वर्ष में एक सप्ताह के लिए तो रहती ही है। इस कारण ऐसे लोग जो हिन्दी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिससे वे सभी अपने कर्तव्य का पालन कर हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें। हिन्दी निबन्ध लेखन,वाद-विवाद,विचार गोष्ठी,काव्य गोष्ठी,राजभाषा सप्ताह,पुरस्कार समारोह

पुरस्कार

हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने हेतु पुरस्कार समारोह भी आयोजित किया जाता है  यह पहले राजनेताओं के नाम पर था, जिसे बाद में बदल कर राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया

राजभाषा गौरव पुरस्कार

यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं।

राजभाषा कीर्ति पुरस्कार

यह पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। 

भारत की संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाएँ हैं ?

असमी, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू।

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