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पर्वतारोही बलजीत कौर ने अन्नपूर्णा चोटी पर मौत के मुँह में बिताये वो 27 घंटे…

Mountaineer Baljeet Kaur: कुछ दिन पहले दुनिया की सबसे खतरनाक चोटियों में से एक नेपाल की अन्नपूर्णा से भारतीय पर्वतारोही बलजीत कौर और आयरिशमैन नोएल हन्ना की मौत की खबर से देश भर में सभी लोग सहम गए और सोशल मीडिया पर बलजीत कौर के बारे में पोस्ट वायरल होने लगी । इसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी याद में ऐसे संदेशों की बाढ़ आ गई।

नोएल के शव को कैंप चार से नीचे लाने के इंतजाम किए जा रहे थे। लेकिन बलजीत कौर कहां है, इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता था| दुनिया ने बलजीत को मरा हुआ मान लिया था। लेकिन अन्नपूर्णा में मौत से 27 घंटे से ज्यादा समय से लड़ने के बाद बलजीत कौर खुद को नीचे खींचने की कोशिश में लगी रही | 

बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur)  ‘हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा’ की स्थिति में रही । यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें ऊंचाई और ऑक्सीजन की कमी के कारण ज्यादातर पर्वतारोहियों का दिमाग काम करना बंद कर देता है और वह सोचने की क्षमता खो देते हैं।

उस मंगलवार के दिन अचानक खबर आई कि बलजीत कौर जिंदा है और उसकी तलाश कर रहे तीन हेलिकॉप्टरों में से एक ने लंबी लाइन के जरिए उसे 7,600 मीटर ऊंची अन्नपूर्णा से रेस्क्यू किया जा रहा है | इसके बाद रेस्क्यू टीम बलजीत को काठमांडू के एक अस्पताल में इलाज के लिए लाई ।

अन्नपूर्णा में बलजीत कौर के साथ क्या हुआ?

बलजीत कौर की कहानी सुनने से पहले इस बहादुर लड़की के बारे में कुछ जान लेना बहुत जरूरी है। बलजीत कौर पहाड़ों से जुडी हुई है | हिमाचल प्रदेश में एक जमींदार परिवार में जन्मी बलजीत कौर पहाड़ों में पली-बढ़ीं है। बलजीत कौर की उम्र 27 साल है | पर्वतारोही बलजीत कौर तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं।

जब वह पहाड़ों पर चढ़ने के अपने सपने पर काम नहीं कर रही होती हैं तो वह फिटनेस और योग भी सिखाती हैं। वह विकलांग बच्चों को डांस सिखाती हैं।बलजीत कौर कहती हैं कि अगर आप जमींदार परिवार से आते हैं तो आप ‘खेतों से जुड़े हैं, पहाड़ों से जुड़े है | 

हिमाचल प्रदेश में बलजीत कौर का घर वहीं से शुरू होता है जहां से पहाड़ शुरू होते हैं। सर्दियों में वह कश्मीर की सफेद पहाड़ियों को देखना चाहती थी। कॉलेज में, बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur) ने भारतीय सेना के तहत राष्ट्रीय कैडेट कोर्स का विकल्प चुना।

18 साल की उम्र में उन्हें आर्मी विंग में माउंटेनियरिंग का कोर्स करने का मौका मिला। यहीं से ऊंचे पहाड़ों पर झंडा लहराने का सफर शुरू हुआ। सबसे पहले उन्होंने हिमाचल में माउंट टेबा (6001 मीटर) पर चढ़ाई की और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पिछले साल उन्होंने 30 दिनों में नेपाल में 8,000 से अधिक ऊंचाई वाली पांच चोटियों पर चढ़ाई की थी।  बलजीत कौर ने दुनिया के चौथे सबसे ऊंचे पर्वत माउंट ल्होत्से पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने के बाद एक महीने से भी कम समय में चार 8,000 मीटर की चोटियों को फतह करने वाली पहली भारतीय पर्वतारोही बनने का मुकाम हासिल किया।image credit:baljeetkaur@twitter

बलजीत कौर को विश्वास हो गया कि वह बिना ऑक्सीजन हेड के भी अन्नपूर्णा जा सकती हैं। लेकिन अन्नपूर्णा में ऊंचाई बहुत ज्यादा है जिसके लिए उन्हें एक अच्छी टीम की जरूरत थी। उनके मुताबिक, यहां वे पर्वतारोहण का काम करने वाली नेपाली कंपनियों की बेरुखी का शिकार हुईं।

इसके बारे में पीक प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पासंग शेरपा ने कहा, हिमाचल प्रदेश की 27 वर्षीय पर्वतारोही कौर ने रविवार को माउंट ल्होत्से को फतह किया और एक ही सीजन में चार 8000 मीटर की चोटियों पर चढ़ने वाली पहली भारतीय पर्वतारोही बनीं।

उन्होंने (Mountaineer Baljeet Kaur) अपनी गाइड मिंगमा शेरपा के साथ दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी को सफलतापूर्वक फतह किया, उन्होंने कहा, यह इस वसंत के मौसम में कौर की चौथी सफल चढ़ाई थी।

पासांग ने कहा कि बलजीत और मिंगमा ने 28 अप्रैल को अन्नपूर्णा I (8,091 मीटर), माउंट कंचनजंगा (8,586-मीटर) 12 मई को प्रस्तुत किया। 21 मई को, उन्होंने माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) को फतह किया।

बलजीत कौर को विश्वास हो गया कि वह बिना ऑक्सीजन हेड के भी अन्नपूर्णा जा सकती हैं। लेकिन अन्नपूर्णा में ऊंचाई बहुत ज्यादा है जिसके लिए उन्हें एक अच्छी टीम की जरूरत थी। उनके मुताबिक यहां वे पर्वतारोहण का काम करने वाली नेपाली कंपनियों की बेरुखी का शिकार हुईं।

‘उस वक्त दिमाग पर काबू पाना मुश्किल था’

बलजीत कौर का कहना है कि वे बीते रविवार रात दो बजे निकले थे। सोमवार शाम तक, वे शिखर पर पहुंच गए, लेकिन तब तक बिना ऑक्सीजन के 27 घंटे से अधिक समय तक पहाड़ पर रहे और हाई एलटीटुड सेरेब्रल एडिमा (HACE) के लक्षण दिखाने लगे थे।

बलजीत ने कहा ‘मैं जैसे ही टॉप पर पहुंच,  मुझे सपने आने लगे। मन को काबू करना बहुत मुश्किल हो रहा था और मैं लगातार इससे लड़ रही थी 

यहां यह याद रखना जरूरी है कि मानव शरीर को समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर रहने के लिए डिजाइन किया गया है। अधिक ऊंचाई पर शरीर में ऑक्सीजन तेजी से कम होने लगती है और शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगते हैं।

ऐसी ऊंचाई पर पर्वतारोही आमतौर पर हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) से पीड़ित होते हैं। हाइपोक्सिया के साथ नब्ज तेज हो जाती है, रक्त गाढ़ा हो जाता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। सबसे खराब पर्वतारोहियों के फेफड़ों में पानी भर जाता है और वे हाई एलटीटुड सेरेब्रल एडिमा से पीड़ित हो सकते हैं।

सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की कमी से ‘एल्टीट्यूड सिकनेस’ का खतरा बढ़ जाता है। इतनी ऊंचाई पर तेज हवाएं पर्वतारोहियों के लिए घातक साबित होती हैं | अन्नपूर्णा पर्वत 8091 मीटर ऊँचा है | 

विशेषज्ञों के अनुसार मानव शरीर के जीवित रहने की प्राकृतिक सीमा 8000 मीटर है। इससे ऊपर शरीर के सभी अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। बलजीत कौर ने इस खतरे में 27 घंटे बिताए और जो एंडी हैरिस के साथ हुआ वही उनके साथ भी हो रहा था।

शिविर और शेरपा के लिए संघर्ष

बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur) के अन्नपूर्णा पर कैंप फॉर  के बाद उनके तीन या चार शेरपा बदल गए। ‘सबसे बड़ा भ्रम यह था कि मैं यह पता नहीं लगा सका कि मेरा शेरपा कौन था और कौन नहीं।’ ‘ऐसे कोई शेरपा नहीं थे जिन पर मैं भरोसा कर सकूं।’

बलजीत के मुताबक उन्हें सौंपे गए अनुभवी शेरपाओं ने अनुकूलन रोटेशन (ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने से पहले शरीर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की प्रक्रिया) के दौरान छोड़ दिया था | 

हालांकि, वह यह कहकर चला गया कि वह वापस आएगा और बलजीत ने सात-आठ दिन तक उसका इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आया और दूसरे शेरपा को भेजा जो पहले से ही बीमार था।

इस अवसर पर नए शेरपा ने बलजीत से कहा कि उनके साथ एक नया युवा शेरपा भी आएगा जिसे प्रशिक्षण भी दिया जाएगा और इस बार भी वह शिखर को पूरा करेगी।image credit:baljeetkaur@twitter

अगले दिन दो बजे उसने बलजीत से कहा कि चूंकि तुम ऑक्सीजन का उपयोग नहीं कर रहे हो और धीरे-धीरे चलोगे, तो भाला वाला तुम्हारे साथ जाएगा लेकिन मैं पीछे रहूंगा । अंत में जो दो शेरपा मिले वे बहुत युवा और अनुभवहीन थे। सुबह 7:30 बजे बलजीत कौर शिखर से 100 मीटर की दूरी पर थी लेकिन उस 100 मीटर की दूरी पर उन्हें शिखर तक पहुँचने में 24 घंटे और 12 घंटे लग गए ।

‘पूरी रात बलजीत कौर खुद को ऊपर खींचती रही ‘

दो शेरपाओं के जाने के बाद बलजीत कौर कहती हैं, 7,800 मीटर पर, ‘मैं शायद दो से तीन घंटे सोती थी। रात को जब बलजीत जगी तो उन्हें लगा कि ‘मैं तंबू में हूं और मेरे आसपास लोग हैं, लेकिन जब मैंने अपनी आंखें खोलीं तो वहां कुछ भी नहीं था।

वे कहते हैं कि वह दूर से कैंप चार की रोशनी देख सकती थी और वह खुद से कह रही थी ‘मुझे वहां पहुंचना है, मुझे नहीं पता कि कैसे लेकिन मैंने रात में खुद को खींच लिया। बलजीत का कहना है कि यह पहली बार था जब वह किसी पहाड़ पर अधिक ऊंचाई वाले सेरेब्रल एडिमा से पीड़ित थे। वो था कि ‘अब मेरी लड़ाई किसी और से नहीं, दिमाग से है | image credit:baljeetkaur@twitter

अगली सुबह तक बलजीत कौर अन्नपूर्णा पर 38 घंटे बिता चुकी थी और ऑक्सीजन की कमी के साथ मैं एक बच्चे की तरह व्यवहार कर रही थी |  किसी से संपर्क न करने की वजह बताते हुए वह कहती हैं, “मैंने खुद से कहा कि यह आखिरी मौका है, मैं इतनी कमजोर नहीं हो सकती कि मैं नीचे न जा सकूं, मैं खड़ी हुई और खुद को 100 मीटर और घसीटा और कैंप चार की ओर बढ़ती चली गई | 

बलजीत कौर कहती हैं, “मैं एक सिख परिवार से ताल्लुक रखती हूं, मैं अक्सर गुरबानी सुनती हूं और कभी गजल सुनती हूं। यह सोचकर मेरा ध्यान अपने फोन की ओर गया कुछ भजन सुनने के लिए। लेकिन यह फोन नहीं था, यह उनका गार्मिन डिवाइस था। होश खोने के बावजूद उन्होंने किसी को मदद के लिए बुलाने की सोची।

तो सवाल यह था की आख़िर बचाव के लिए बलजीत ने किसी को क्यों नहीं बुलाया ?

बलजीत कौर का कहना है की “मैंने सोचा कि यह शर्म की बात होगी कि आप पहाड़ पर चढ़ने गए हो और अपने लिए बचाव की मांग क्र रहे हो।”लेकिन फिर एक समय आया जब मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मैं खड़ी नहीं हो सकती थी | 

बलजीत कौर ने दावा किया कि उसने फिर उस कंपनी को मैसेज किया जिसकी सेवाएं उसने ली थीं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला, इसके कुछ देर बाद बलजीत ने इस कंपनी के दूसरे नंबर और मेल पर मैसेज भेजा कि ‘मैं ठीक हूं और जिंदा हूं लेकिन मुझे मदद की जरूरत है।’

इस समय तक बलजीत कौर ने खाना-पीना सब खत्म कर दिया था। करीब डेढ़ घंटे के बाद उन्हें इस नंबर से जवाब मिला, ‘बलजीत, क्या तुम ठीक हो?’ बलजीत कौर  ने जवाब दिया, “हां मैं ठीक हूं लेकिन मुझे आपकी मदद की जरूरत है।image credit:baljeetkaur@twitter

बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur) को उस वक्त चक्कर आ रहे थे, वह ठीक से टाइप भी नहीं कर पा रही थी । बलजीत को सब कुछ धुंधला दिखाई दे रहा था। यह सोचकर बलजीत बेबस होकर खुद को और घसीटने लगा और खुद को 50 मीटर नीचे ले आई ।

करीब डेढ़ घंटे बाद एक हेलिकॉप्टर आया और बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur) का रेस्क्यू किया गया । बलजीत कौर के अनुसार, जब उसे बचाया गया तब वह 7,600 मीटर से ऊपर थी और ‘रात के समय वह केवल 250 मीटर ही खींच पाई। बलजीत कौर ने शिखर सम्मेलन के लिए 16 अप्रैल को 2 बजे कैंप 4 छोड़ा और 18 अप्रैल को 3 बजे बचा लिया गया। यानी बलजीत ने करीब कुल 49 घंटे अन्नपूर्णा पर बिताए। भारत की इस गोल्डन गर्ल को देश का हर नागरिक सलाम करता है | ऐसे ही और ब्लॉग के लिए आप हमे कमेँट बॉक्स में सुझाह दे सकते |

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