National Cancer Awareness Day: क्या है कैंसर की बीमारी ?
National Cancer Awareness Day: भारत में हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर (Cancer) जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को कैंसर के गंभीर खतरे के बारे में शिक्षित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैंसर दूसरी सबसे घातक बीमारी है जो लोगों में मौत का कारण बनती है।
कैंसर (Cancer) से मरने वालों की स्थिति भारत के लिए एक गंभीर खतरा है। साल 2020 में भारत में 8.5 लाख लोगों की मौत कैंसर से हुई। इसी वजह से इस प्रकार के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2020 मनाया जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पहली बार सितंबर 2014 में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की घोषणा की। उन्होंने कैंसर नियंत्रण पर एक राज्य स्तरीय आंदोलन शुरू किया और लोगों को मुफ्त जांच के लिए नगरपालिका क्लीनिक में रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया। कैंसर के शुरूआती लक्षणों और इससे बचने के उपायों के बारे में बताने वाली एक पुस्तिका भी वितरित की गई।
इस घातक बीमारी के खिलाफ देश में एक महत्वपूर्ण कदम 1975 में राष्ट्रीय (Cancer) कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत के साथ शुरू हुआ, जिसे राष्ट्र में कैंसर के इलाज की सुविधा के लिए शुरू किया गया था। इसके साथ ही 10 साल बाद 1984-85 में प्रारंभिक कैंसर का पता लगाने और रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए योजना के दृष्टिकोण को संशोधित किया गया था।
राष्ट्रीय (Cancer) कैंसर जागरूकता दिवस 7 नवंबर को मनाया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में कैंसर रोग के बारे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना और सरकार सहित सभी हितधारकों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है।
यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसपर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। लेकिन कभी-कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाएं बेहिसाब तरीकेसे बढ़ने लगती हैं, उसे कैंसर कहा जाता हैं।
- मानव शरीर में किसी भी अंग में घाव या नासूर, जो न भरे वहां हो सकता है ।
- शरीर के किसी भी अंग में लम्बे समय से दर्दरहित गॉंठ या सूजन होना ।
- महिलों में स्तनों में गॉंठ होना या रिसाव होना मल-मूत्र, उल्टी और थूंक में खून आना।
- निगलने में दिक्कत, लम्बे समय तक लगातार खॉंसी होना ।
- पहले से बने मस्सों और तिल का अचानक तेजी से बढना और रंग में परिवर्तन या पुरानी गॉंठ के आस-पास नयी गांठो का उभरना।
- कमजोरी आना या खून की कमी, बिना कारण वजन घटना
- महिलों में यौन सम्बन्धों के तुरन्त बाद तथा 40-45 वर्ष की उर्म में महावारी बन्द हो जाने के बाद खून बहना।
- लगातार धूम्रपान-सिगरेट या बीडी के सेवन से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है।
- अगर आप पान-सुपारी, तम्बाकू, पान मसाले और गुटकों का सेवन करते हैं टन आप को मुंह, जीभ, खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है |
- शराब के सेवन से श्वांस नली, तालु, भोजन और नली में कैंसर होता है।
- धीमी आचॅं, धूंए मे पका स्मोक्ड भोजन और ज्यादा नमक वाला भोजन, ज्यादा तले हुए भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाला भोजन(रिफाइन्ड) सेवन करने से बडी आंतो का कैंसर होता है।
- कुछ रसायन और दवाईयों से पेट, यकृत(लीवर) मूत्राशय के कैंसर होता है।
- लगातार और बार-बार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियों से त्वचा, जीभ, होंठ, गुर्दे, पित्ताशय, मुत्राशय का कैंसर होता है।
- कम उम्र में यौन सम्बन्ध और अनेक पुरूषों से यौन सम्बन्ध द्वारा बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है।
पुरूष और महिलाओं में आम तौर पर पाये जाने वाले कैंसर
पुरूषः- मूंह, गला, फेंफडे, भोजन नली, पेट और पुरूष ग्रन्थी (प्रोस्टेट)
महिलाः- बच्चेदानी का मुंह, स्तन, मुंह, गला, ओवरी
कैंसर (Cancer) से बचने के उपाय
- गुटका, शराब, धूम्रपान, तम्बाकु, सुपारी, चना, पान, मसाला आदि का सेवन न करें।
- विटामिन युक्त और रेशे वाला ( हरी सब्जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन खायें।
- कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायणों से युक्त भोजन धोकर खायें।
- अधिक तले हुए भोजन, बार-बार गर्म किये तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खायें।
- अपना वजन सामान्य रखें।
- नियमित व्यायाम या योगा करें नियमित जीवन बितायें।
- साफ-सुथरे, प्रदूषण रहित वातावरण की रचना करें ।
- मूंह में सफेद दाग होना या फिर बार-बार घाव होना |
- अगर शरीर में किसी भी अंग या हिस्से में गांठ होती है तो तुरन्त जांच करवायें।
- महिलायें माहवारी के बाद हर महीने स्तनों की जॉंच स्वयं करे स्तनों की जॉंच स्वयं करने का तरीका चिकित्सक से सीखें।
- अगर माहवारी के बीच या माहवारी बन्द होने के बाद रक्त स्त्राव होता है तो यह खतरे की निशानी है, जल्द टैस्ट करवा लेना चाहिए ।
- आप अपने शरीर में या सेहत में किसी भी असामान्य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें, इसके नतीजे बुरे हो सकते हैं ।
- नियमित रूप से अपने चिकित्सक से जॉंच करवाते रहें |
- याद रहे- प्रारम्भिक अवस्था में निदान होने पर ही सम्पूर्ण उपचार सम्भव है।