Qila Mubarak: किला मुबारक जहां दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक रजिया सुल्ताना को रखा गया कैद
(Qila Mubarak, Bathinda): किला मुबारक महान ऐतिहासिक महत्व का एक स्मारक है और पंजाब के बठिंडा शहर में स्थित है। इस किले का निर्माण 90 और 110 ईस्वी के बीच हुआ, और यह भारत का सबसे पुराना किला है | शायद यही कारण है कि किला मुबारक आज तक पंजाब में एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण का केंन्द्र बना हुआ है।
यह भव्य किला उत्तर पश्चिम से रास्ते में स्थित है, इसलिए इसे तबर-ए-हिंद या भारत के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता था। इसकी मजबूत संरचना के कारण, इसने पंजाब की रक्षा रणनीतियों में एक अहम भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक रजिया सुल्ताना (Razia Sultana) को हारने और गद्दी से हटाने के बाद इस किले में कैद रखा गया था।
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने भी इस स्थान का दौरा किया था। यह ऐतिहासिक किला मुबारक को विशेष रूप से इतिहास प्रेमियों के बीच विशेष रुचि का स्थान बनाते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग इस साइट को पिकनिक स्पॉट के रूप में भी चुनते हैं। किले के शांत और निर्मल वातावरण के कारण बठिंडा में इतिहास की एक झलक पाने के लिए यह एक बेहतरीन जगह है।
किला मुबारक का इतिहासइस शक्तिशाली किले का निर्माण कुषाणों के शासनकाल में हुआ था। उत्तरी भारत के कुषाण शासक कनिष्क ने राजा डाब के साथ मिलकर इस किले का निर्माण करवाया था। किला मुबारक ने सदियों से पंजाब राज्य को हिला देने वाली कई लड़ाइयों और आक्रमणों के गवाह के रूप में काम किया है।
किला मुबारक का निर्माण 90 और 110 ईस्वी के बीच राजा डाब द्वारा किया गया था, जो वेना पाल के पूर्वज थे। किले के निर्माण के लिए जिन ईंटों का उपयोग किया गया है, वे कुषाण काल की हैं, उस समय जब भारत के उत्तरी भाग पर सम्राट कनिष्क का शासन था। किला मुबारक के निर्माण का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि हूण सम्राट कनिष्क के राज्य पर आक्रमण न करें। हालांकि, बाद के वर्षों में, क्षेत्र के विभिन्न शासकों ने किले की मुख्य संरचना में कई बदलाव किए।
11वीं सदी में राजा जयपाल के आत्महत्या करने के बाद महमूद गजनवी ने शानदार किले पर कब्जा कर लिया था। कहा जाता है कि रज़िया सुल्तान किले की बालकनी से कूद गई थी ताकि वह अपनी सेना को इकट्ठा कर सके और दुश्मनों से लड़ सके। बाद में रज़िया (Razia Sultana) की हार हो गई और फिर से इस किले में कैद कर लिया गया | दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने भी वर्ष 1705 में किला मुबारक का दौरा किया था। बाद में उनकी यात्रा के उपलक्ष्य में किले के भीतर एक गुरुद्वारा का निर्माण किया गया था। पटियाला राजवंश के शासकों ने भी आवासीय उद्देश्यों के लिए शाही किले का उपयोग किया। महाराजा आला सिंह ने 17वीं ईस्वी में इस पर कब्जा कर लिया और किले का नाम बदलकर गोबिंदगढ़ किला रख दिया।
समय बीतने के साथ किले की भव्य संरचना ढह गई और अब खंडहर हो चुकी है। इस प्रकार, किले को पुनर्जीवित करने महत्वपूर्ण काम किए जा रहे हैं | किला मुबारक समृद्ध भारतीय इतिहास की गवाही देता है।