दादा साहब फाल्के अवॉर्ड पाने वाली 8वीं महिला अभिनेत्री वहीदा रहमान बारे में कुछ ख़ास बातें
Waheeda Rehman: आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित किया, इसके साथ ही अभिनेत्री वहीदा रहमान को फिल्मों में उनके बेहतरीन योगदान के लिए ‘दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान पाकर वहीदा रहमान भावुक हो गईं।
इस बीच वहीदा रहमान ने कहा कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि, ‘आज मैं जिस मुकाम पर खड़ा हूं वो मेरी इंडस्ट्री की वजह से है। मैं अपने निर्देशक, संगीत निर्देशक, मेकअप आर्टिस्ट और कॉस्ट्यूम डिजाइनर की आभारी हूं। मैं इस पुरस्कार को अपने इंडस्ट्री के साथ साझा करना चाहती हूं। उन्होंने मुझे शुरू से ही बहुत सम्मान और प्यार दिया है, कोई भी अकेला व्यक्ति फिल्म नहीं बना सकता,हमे सभी के साथ की जरूरत होती है |
दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड की घोषणा गुजरी 26 सितंबर को दिग्गज अभिनेता देव आनंद के 100वें जन्मदिन के दिन की गई थी। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए वहीदा रहमान ने कहा, ”मैंने अपनी पहली हिंदी फिल्म देव साहब के साथ की थी और आज मुझे उनके 100वें जन्मदिन पर यह उपहार मिला।
अभिनेत्री वहीदा रहमान का जन्म 3 फरवरी 1938 को तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत और नृत्य का शौक था | कम ही लोग जानते हैं कि वहीदा रहमान का इरादा कभी एक्ट्रेस बनने का नहीं था, बल्कि वह डॉक्टर बनना चाहती थीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्हें जीविकोपार्जन के लिए सिनेमा की ओर रुख करना पड़ा। वहीदा रहमान ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1955 में तेलुगु फिल्म ‘रोजुलु मरई’ से की थी। उन्होंने 1956 में फिल्म सीआईडी से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया।
इस फिल्म में उनके साथ देव आनंद थे। वहीदा रहमान ने अपने 57 साल के करियर में लगभग 90 फिल्मों में काम किया। उन्होंने न केवल मुख्यधारा सिनेमा में, बल्कि कला सिनेमा में भी अपने अभिनय से बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने बॉलीवुड में कई हिट फिल्में की हैं, जैसे प्यासा, गाइड, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद, साहब बीवी और गुलाम, खामोशी, रंग दे बसंती और भी कई हैं ।
वहीदा रहमान ने अपनी फिल्मों के लिए कई पुरस्कार जीते हैं। फिल्म रेशमा और शेरा के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गाइड (1965) और नील कमल (1968) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। इसके अलावा उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
1969 में शुरू हुआ दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा उद्योग में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इसका नाम ‘भारतीय सिनेमा के जनक’ कहे जाने वाले धुंडीराज गोविंद फाल्के के नाम पर रखा गया है, जिन्हें प्यार से दादा साहब फाल्के कहा जाता है।
वहीदा रहमान यह सम्मान पाने वाली 8वीं महिला अभिनेत्री हैं। इसके 54 साल के इतिहास में अब तक केवल 7 महिला कलाकारों को ही यह पुरस्कार मिला है। पहला दादा साहब फाल्के पुरस्कार 1969 में अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था। इसके बाद रूबी मेयर्स (सुलोचना), कन्नन देवी, दुर्गा खोटे, लता मंगेशकर और आशा भोसले को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को भी 2020 में दादा साहब फाल्के सम्मान मिला।
अब वहीदा रहमान ने यह अवॉर्ड मिलने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, ”मैंने जो भी फिल्में की हैं, उनमें मैंने अक्सर इस बात का ध्यान रखा है कि प्रगतिशील विचार होने चाहिए, महिलाओं को वह करने की इजाजत होनी चाहिए जो वे चाहती हैं। चाहती हूं क्योंकि सदियों से महिलाएं उन्हें आगे बढ़ने, पढ़ने और लिखने की अनुमति नहीं थी।
इसलिए उन्हें दबा दिया गया जबकि उनमें प्रतिभा भी थी। उन्होंने आगे कहा कि, “मैं अलग-अलग गांवों के कई लोगों से मिली हूं, जब मैं बेंगलुरु में थी, तो मेरी फैक्ट्री में काम करने वाले कई लोगों को अपना नाम लिखना भी नहीं आता था, वे दस्तावेज़ों पर अपना नाम पेन से लिखने की बजाय अपने अंगूठे का प्रयोग करते थे |आपको बीए या एमबीए करने की ज़रूरत नहीं है, हर कोई सीख सकता है, और उन्हें मौका दिया जाना चाहिए। अंत में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि महिलाओं में बहुत ताकत होती है, उनके पास बहुत दिमाग होता है, अगर वे पूरे दिल से काम करें तो वे बहुत सफल हो सकती हैं।”