History

लाल बहादुर शास्त्री ने जब कार खरीदने के लिए 5000 रुपये का लिया लोन

Lal Bahadur Shastri : लाल बहादुर शास्त्री का पूरा जीवन दुनिया के लिए प्रेरणा है। शुरुआती दिनों के संघर्ष से लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने तक उनकी जीवन की कई कहानियां आज भी दुनिया को प्रेरित करती हैं। उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा के दम पर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे शहर मुगल सराय में हुआ था। बचपन में उन्हें नन्ने कहा जाता था। जब शास्त्री जी डेढ़ वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद उन्हें अपने चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया।

इस दौरान वह पढ़ाई के लिए मीलों पैदल चलकर जाते थे। जब शास्त्री 16 वर्ष के थे, तब उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का फैसला किया और अपनी पढ़ाई छोड़ दी। 17 साल की उम्र में, उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया, लेकिन नाबालिग के रूप में उन्हें रिहा कर दिया गया।

शास्त्री जी (Lal Bahadur Shastri) का स्कूल गंगा नदी के दूसरी तरफ था और शास्त्री के पास नाव के लिए पैसे नहीं थे। वह सिर पर किताबें बांधकर पढ़ने के लिए गंगा नदी में तैर कर पार करते और फिर गंगा नदी में तैरकर वापस आ जाते थे।

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में एक कहानी काफी मशहूर है, जब वे प्रधानमंत्री थे तो उनके परिवार वालों ने उनसे कार खरीदने के लिए कहा। फिएट कार खरीदने के लिए उन्हें 12,000 रुपये की जरूरत थी, लेकिन उनके पास केवल 7,000 रुपये थे। इस कार के लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5000 रुपये का लोन लिया था | उन्होंने ये कार साल 1965 में खरीदी थी | लेकिन दुख की बात है कि कार खरीदने के एक साल बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। आज यह कार उनके दिल्ली स्थित आवास पर खड़ी है |

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का कार लोन जल्दी मंजूर हो गया था। इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से कहा कि इस तरह की सुविधा आम लोगों को भी मिलनी चाहिए | लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद बैंक ने उनकी पत्नी को बकाया ऋण चुकाने के लिए लिखा। इसके बाद उनकी पत्नी ललिता देवी ने पारिवारिक पेंशन की मदद से बैंक का कर्ज चुकाया | लाल बहादुर शास्त्री द्वारा खरीदी कार का नंबर DLE 6 है, जो आज भी संभाल के रखी गई है |

जब प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई तो बड़ा सवाल यह था कि भारत की सत्ता कौन संभालेगा? उस समय देश का विकास एक चुनौती थी और कई दिग्गज सत्ता में आने के लिए कतार में थे।

उस समय तक लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) भारत के पूर्व गृह मंत्री के रूप में जाने जाते थे। फिर उन्हें देश के प्रधानमंत्री का पद मिला और उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर काम किये । लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया

जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे तो वह एक राज्य का दौरा करने वाले थे, लेकिन किन्हीं कारणों से आखिरी वक्त पर यह दौरा रद्द करना पड़ा। राज्य के मुख्यमंत्री ने शास्त्री से कहा कि उनके रहने के लिए प्रथम श्रेणी की व्यवस्था की जा रही है, जिस पर लाल बहादुर शास्त्री ने उनसे कहा कि वह तृतीय श्रेणी के व्यक्ति हैं इसलिए प्रथम श्रेणी की व्यवस्था की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे प्रधानमंत्री रहते हुए भी उनकी सादगी एक मिसाल है

लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधान मंत्री बने लेकिन उनका जीवन एक सामान्य व्यक्ति जैसा था। वह अपने कार्यकाल के दौरान मिलने वाले भत्ते और वेतन की मदद से पूरे परिवार का भरण-पोषण करते थे। एक बार जब उनके बेटे ने प्रधान मंत्री कार्यालय की कार का उपयोग किया, तो शास्त्री ने कार के निजी उपयोग के लिए पूरी राशि सरकारी खाते में भुगतान कर दी। हैरानी की बात ये है कि देश के प्रधानमंत्री के पास न तो अपना घर है और न ही कोई संपत्ति | जब लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई तो उनके पास कोई ज़मीन या संपत्ति नहीं थी

लाल बहादुर शास्त्री की मौत एक रहस्य बनी हुई है, लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी 1966 को ताशकंद, उज्बेकिस्तान में हुई। शास्त्री युद्ध के बाद भारत-पाकिस्तान यथास्थिति पर बातचीत करने के लिए पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने ताशकंद गए। हालाँकि, पाकिस्तानी राष्ट्रपति से मुलाकात के कुछ घंटों बाद ही उनकी अचानक मृत्यु हो गई।

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