Ajatashatru: मगध सम्राट अजातशत्रु ने अपने ही पिता को क्यों मारा ?
Ajatashatru: भारतीय इतिहास में ऐसे राज्य हुए हैं जो अपने वीरता और कुछ अपने कामों के लिए जाने जाते हैं, आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे राजा के बारे में जिनका इतिहास काफी दिलचस्प है |
आज हमारे ब्लॉक में हम जानेंगे अजातशत्रु का इतिहास और अजातशत्रु कौन थे ? अजातशत्रु के बारे में जानने से पहले हम यह जान लें कि उन्हें अजातशत्रु ही क्यों कहा जाता था असल में अजातशत्रु के शब्द का अर्थ होता है ‘शत्रुहीन’, जिसका कोई दुश्मन ही ना हो |
अजातशत्रु किस वंश के थे ?
राजा अजातशत्रु (Ajatashatru) हर्यक वंश के पहले शासक बिंबिसार के पुत्र थे | और उनकी माता का नाम वैदेही था | उनकी पत्नी का नाम राजकुमारी वजीरा था उनके दो पुत्र उदयभद्र और उदयिन थे | अजातशत्रुका जैन धर्म और बुद्ध धर्म के अनुयाई माने जाते है | उनके मंत्री का नाम वस्सकार था | अजातशत्रु ने 492 ईसवी पूर्व से 460 ईसवी पूर्व तक शासन किया |
प्राचीन भारत का इतिहास देखा जाए तो काफी नामी राजाओं ने यहां पर जन्म लिया और अपने कामों से भारतवर्ष की शोभा को भी बढ़ाया | कई राज्यों ने ऐसे काम किए जिनके लिए उनको हमेशा दुनिया याद करती है |
कुछ राजा ऐसे भी हुए जो अपनी कुर्ता और धोखेबाजी के लिए भी जाने जाते थे और कुछ राजााओं ने अपनी सभी हदें पार कर दी थी जिन्होंने अपने परिवार तक को भी मौत के घाट उतार दिया था |
मगध नरेश राजा अजातशत्रु (Ajatashatru) के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने पिता बिंबिसार को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था, उसके बाद अजातशत्रु मगध के राजा बने थे | अजातशत्रु ने सिंहासन अपने पिता बिंबिसार की हत्या करके प्राप्त किया था | अजातशत्रु ने साम्राज्य विस्तार की नीति अपनाई और मगध साम्राज्य की सीमा को काफी दूर-दूर तक फैला दिया |
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मगध के राजा अजातशत्रु ने कितने साल राज किया इसके बारे में स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता, पर माना जाता है कि अजातशत्रु ने 32 साल तक शासन किया इसके पश्चात उनके ही पुत्र उदयिन द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी |
अजातशत्रु ने काशी, कौशल आदि जनपदों को मिलाकर हर्यक वंश के साम्राज्य का विस्तार किया था | अजातशत्रु भगवान बुद्ध के समाकलीन थे | ऐसा माना जाता है कि पाटलिपुत्र की स्थापना का श्रेय भी हो अजातशत्रु को जाता है |
सिंघासन की प्राप्ती
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अजातशत्रु काफी कठोर दिल वाला इंसान भी था, जिसमें दया भावना नाम की चीज नहीं थी | अजातशत्रु बचपन से ही साम्राज्य की बागडोर संभालना चाहता था और उसने अपने पिता बिंबिसार से बात की और उन्हें भगवत अवगत करवाया कि महाराज की बागडोर अब उन्हें अपने हाथ में ले लेनी चाहिए परंतु उनकी छोटी उम्र को देखते हुए उनके पिता बिंबिसार ने उनको मना कर दिया |
अजातशत्रु को तो सिंहासन चाहिए था इसलिए उन्होंने अपने पिता को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया और सत्ता हासिल कर ली | कहा जाता है कि अजातशत्रु ने सिंहासन प्राप्त करने के बाद धीरे-धीरे भारत के 40% हिस्से को अपने अधिकार में कर लिया था |
अजातशत्रु की कोसल पर जीत
अजातशत्रु की कोसल पर जीत मशहूर मानी जाती है, कोसल में प्रसेनजीत नामक राजा राज करता था जिसे अजातशत्रु ने उस पर हमला करके अपने राज्य में मिला लिया | कौशल महाजनपद को जीतने के लिए अजातशत्रु द्वारा कई युद्ध किये और उनके जीवन का यह प्रथम युद्ध माना जाता है |
अजातशत्रु अपनी सेना को लेकर वहां पहुंचे जहां मगध और कोसल की सेनाएं आमने-सामने थी और एक भयंकर युद्ध का माहौल बन गया था और दोनों सेनाओं के बीच भयानक युद्ध शुरू हो गया |
इस युद्ध में अजातशत्रु ने अपनी शक्ति का लोहा मनवाया और हार के बाद प्रसेनजीत ने संधि कर ली और संधि के बाद कोसल का पूरा क्षेत्र राजा अजातशत्रु के अधीन हो गया | इस संधि के तहत कोसल नरेश प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वजीरा का विवाह मगध साम्राज्य राजा अजातशत्रु के साथ कर दिया था |
अजातशत्रु की मौत कैसे हुई ?
राजा अजातशत्रु (Ajatashatru) ने अपने जीवन में लोगों के लिए भलाई के लिए कई काम भी किए | इन्ही कामों को अजातशत्रु की उपलब्धियां माना जाता है | कहा जाता है महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण पर राजा अजातशत्रु ने बुध की अस्थियां प्राप्त करने का प्रयास किया था | अजातशत्रु से यह घटना काफी महत्वपूर्ण है |
अजातशत्रु ने भगवान बुध की अस्थियां लाकर उनकी स्मृति में राजगृह पहाड़ियों पर एक स्तूप का निर्माण करवाया था | अजातशत्रु के समय ही बौद्ध संघ की पहली बैठक हुई थी अजातशत्रु के समय बुध की पहली बैठक में सूत पिटक और विनय पिटक का संपादन हुआ था और यह अजातशत्रु कि बड़ी उपलब्धियों में यह माना जाता है |
हर्यक के सभी राजाओं के जीवन में यह एक बात बहुत प्रचलित है कि उन्होंने अपने ही परिवार जनों को मार कर सत्ता हासिल की थी | जिस तरह राजा अजातशत्रु (Ajatashatru) ने अपने पिता बिंबिसार को मारकर साम्राज्य हासिल किया था वैसे ही माना जाता है कि उनके पुत्र उदयिन द्वारा 461 ईसवी पूर्व में उनकी हत्या कर दी थी और सारा साम्राज्य अपने अधीन कर लिया था |